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शिवहर को पांच बार मिला महिला नेतृत्‍व मगर चुनाव में जाति ही महत्‍वपूर्ण

शिवहर को पांच बार मिला महिला नेतृत्‍व मगर चुनाव में जाति ही महत्‍वपूर्ण

By सुमिता जायसवाल

बिहार के शिवहर लोकसभा चुनाव में दो महिला प्रत्‍याशियों के बीच मुख्‍य मुकाबला है। पहले भी शिवहर लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने पांच बार महिला नेत्रियों को चुनकर संसद में भेजा है। मगर आज भी चुनावों में जातिगत राजनीति ही हावी रहती है।

भारत में आम चुनाव- 2024 के कुल सात चरणों में से चार चरण के चुनाव संपन्‍न हो गए हैं। इस बीच सियासी सरगर्मी चरम पर है। प्रचार अभियान में तीव्रता के साथ ही राजनीतिक दलों के तरकस से जातीय गोलबंदी, विभाजनकारी राजनीति, धर्म के आधार पर आरक्षण, राम मंदिर,  मुफ्त की रेवड़ी,  रोजगार, भ्रष्‍टाचार, परिवारवाद के आरोप-प्रत्‍यारोप के साथ ही एक से बढ़कर एक जहर बुझे तीर निकल रहे हैं। इस बीच बिहार के शिवहर संसदीय क्षेत्र में बेहद दिलचस्प चुनावी दंगल देखने को मिल रहा है। यहां दो दमदार मगर बेहद अलग पृष्ठभूमि वाली महिला नेत्री चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं। इसके पहले भी शिवहर लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने पांच बार महिला नेत्रियों को चुनकर संसद में भेजा है। हालांकि आज भी यहां प्रमुख राजनीतिक दल अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए खुलकर जातीय गोलबंदी का ही सहारा ले रहे हैं।

शिवहर लोकसभा क्षेत्र में छठे चरण में 25 मई को मतदान होना है। पिछले तीन बार से मतदाता बीजेपी की झोली में यह सीट डालते रहे हैं। यहां मुख्‍य मुकाबला आइएनडीआइए (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) ब्लॉक द्वारा समर्थित राजद उम्मीदवार और पुरस्कार विजेता मुखिया रितु जयसवाल और एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) द्वारा समर्थित जदयू उम्मीदवार और बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह की पत्नी लवली आनंद के बीच है।

बेदाग छवि और उभरती महिला नेता

शिवहर में दोनों महिला प्रत्‍याशियों को “बाहरी” बताया जा रहा है। रितु जयसवाल एक उभरती हुई नेता हैं जो अच्छी वक्ता, जनता के साथ अपने जुड़ाव, बेदाग छवि  और  सीतामढी जिले के सोनबरसा ब्लॉक में सिंहवाहिनी पंचायत के मुखिया के रूप में अपने किए गए विकास कार्यों के लिए जानी जाती हैं। लोग उन्हें याद करते हैं कि कैसे वह छाती तक भरे बाढ़ के पानी में छड़ी के सहारे चलकर बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचती थीं और उन्हें राहत पहुंचाती थीं। रितु अपने परिवार की पहली पीढ़ी की राजनेता हैं। रितु 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव राजद के टिकट पर सीतामढी निर्वाचन क्षेत्र से लड़ चुकी हैं। इसमें वे कुछ सौ वोटों के मामूली अंतर से हार गईं थीं। सिंहवाहिनी की निवासी रितु पहली बार शिवहर से लोकसभा के लिए चुनावी मैदान में हैं। बाहरी उम्‍मीदवार होने के जवाब में कहती हैं कि वह क्षेत्र की बहू हैं, कोई बाहरी नहीं। क्योंकि सीतामढी जिले का दो विधानसभा क्षेत्र शिवहर संसदीय क्षेत्र में पड़ता है।

पति की विरासत की जिम्‍मेदारी

दूसरी ओर, लवली आनंद बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह की पत्नी के रूप में जानी जाती हैं।  जिन्हें 1994 में एक दलित आईएएस अधिकारी (तत्कालीन गोपालगंज जिला मजिस्ट्रेट) जी कृष्णैया की हत्या के लिए भीड़ को उकसाने के मामले में दोषी ठहराया गया था। आनंद मोहन 16 साल की कैद के बाद पिछले साल जेल से तब रिहा हुए  जब जेडीयू अध्‍यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी आजीवन कारावास की सजा में छूट के लिए जेल मैनुअल में संशोधन किया था। सहरसा जिले के मूल निवासी आनंद मोहन सिंह सहरसा के माहिषी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे और दो बार शिवहर लोकसभा क्षेत्र से जनता दल के टिकट पर जीत हासिल की। सहानुभूति की लहर पर सवार होकर उनके बेटे चेतन आनंद ने भी राजद के टिकट पर शिवहर निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा चुनाव 2020 में जीत दर्ज की। हालांकि, आनंद मोहन की रिहाई के बाद उन्‍होंने राजद छोड़कर जदयू का दामन थाम लिया। आनंद मोहन को सजा और चुनाव लड़ने पर रोक के बाद लवली आनंद बिहार के वैशाली निर्वाचन क्षेत्र से उपचुनाव में एक बार सांसद और बिहार के बाढ़ और नबीनगर विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रही हैं। वह शिवहर सीट से 2009 और 2014 के आम चुनाव के अलावा 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में भी किस्‍मत आजमा चुकी हैं। हर बार  जीत उनसे दूर रही। 2009 में वे कांग्रेस और 2014 में समजावादी पार्टी की टिकट पर चुनावी मैदान में थीं।

लोकप्रिय चेहरों के बजाय कर्मठ महिलाओं को मिले राजनीति में भागीदारी

शिवहर के डुमरी कटसारी ब्लॉक में अप्रैल की दोपहर में लू जैसी स्‍थिति में रितु जयसवाल एक चौपाल सभा को संबोधित कर रही थी। इसके बाद वह अपने कारवां के साथ पैदल लोगों से वोट अपील की , रास्‍ते में खड़ी उत्‍सुक महिलाओं के समूह को देख उनके पास भी रुक जाती हैं। इतने में गांव के मुखिया उन्‍हें अपने घर लिवा जाते हैं। चुनाव में महिलाओं के मुद्दे पर कहती हैं कि शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण महिला सशक्तिकरण की पहली और सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। महिलाएं दिहाड़ी का भी कुछ पैसा जब कमा कर लाती हैं तो घर में बहुत कुछ बदल सकती हैं। पैसे की कमी के कारण महिलाएं अक्‍सर घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं। राजनीति में महिलाओं की भागीदारी के बारे में वह कहती हैं कि उन महिला राजनेताओं को मौका दिया जाना चाहिए जो जमीनी स्‍तर पर काम कर रही हैं। कई बार राजनीतिक दल जीत हासिल करने के लिए लोकप्रिय फिल्म कलाकारों, गायकों या क्रिकेटरों को मैदान में उतारते हैं, जिससे नेतृत्व की गुणवत्ता प्रभावित होती है। यह जरूरी नहीं है कि अच्छा अभिनेता या क्रिकेटर अच्छा राजनेता भी बनेगा। अधिकांश समय ऐसे लोकप्रिय अभिनेता या खिलाड़ी निर्वाचित होने के बाद अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को समय नहीं दे पाते हैं, अंततः निर्वाचन क्षेत्र का विकास रुक जाता है।

इसके बाद हमने कई बार जेडीयू प्रत्याशी लवली आनंद से उनके मोबाइल फोन पर बात करने की कोशिश की। लेकिन, उनकी तरफ से जवाब नहीं मिला ।

पांच कार्यकाल तक महिला नेतृत्‍व का रहा साथ

शिवहर देश की संसद अपने क्षेत्र की आवाज बुलंद करने के लिए महिला नेताओं को चुनकर भेजता रहा है। दिवंगत बाहुबली नेता बृजबिहारी प्रसाद की पत्नी रमा देवी 2009, 2014 और 2019 के आम चुनावों में जीत की हैट्रिक लगा चुकी हैं। बृजबिहारी प्रसाद लालू-राबड़ी कैबिनेट में मंत्री थे। बाद में 2022 में रमा देवी ने आरोप लगाया कि लालू यादव के परिवार ने उनके पति की लोकप्रियता से डरकर उनकी हत्या करवा दी। रमा देवी के भाजपा में शामिल होने के साथ ही वैश्‍य समुदाय एक तरह से राजद से कट गया।

इस बार मौजूदा सांसद रमा देवी को शिवहर से टिकट नहीं मिला, क्योंकि एनडीए के बीच सीट समझौता में यह सीट जेडीयू के पास चली गई। इससे वैश्य समुदाय में खासी नाराजगी है। क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व अब खतरे में है। लोग निराशा में हैं कि जब उनके समुदाय का कोई नेता ही नहीं होगा तो उनकी आवाज कौन सुनेगा। आखिरकार, शिवहर में जाति की राजनीति अन्य सभी मुद्दों को पीछे धकेलती नजर आ रही है।

दीगर है कि शिवहर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व दो बार अनुभवी कांग्रेस महिला नेता राम दुलारी सिन्हा ने किया है, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री, बिहार की पहली महिला राज्यपाल, स्वतंत्रता सेनानी और मास्टर डिग्री हासिल करने वाली बिहार की पहली महिला थीं। महिला नेताओं ने ढाई दशकों तक इस क्षेत्र का नेतृत्व किया है, लेकिन चुनावों में लैंगिक समानता, सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण कभी मुद्दा नहीं बन सका। पटना की सामाजिक कार्यकर्ता और इक्विटी फाउंडेशन की संस्‍थापक नीना श्रीवास्तव का कहना है कि राजनीति में महिलाओं की सिर्फ भागीदारी समाज में लैंगिक विमर्श को मजबूत करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इस दिशा में पहल करने के लिए राजनीतिक दलों में लैंगिक संवेदनशीलता की समझ और इस मुददे पर काम करने की रुचि होनी चाहिए।

राजद और जदयू में कांटे की टक्‍क्‍र

शिवहर सीट का चुनावी धमासान राजनीतिक विश्लेषकों का ध्‍यान भी खींच रहा है। । दिल्‍ली के वरिष्‍ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ अरविंद शर्मा का कहना है कि इस बार बीजेपी का दांव उल्टा पड़ सकता है। भाजपा वैश्य समाज की भावनाओं को समझने में विफल रही है। इसका असर शिवहर के आसपास के अन्य संसदीय क्षेत्रों पर भी पड़ेगा। वैश्‍य समुदाय के वोटों में बड़ा अंतर आने की संभावना है, जो कभी बीजेपी के कोर वोट बैंक थे। इस समुदाय को लुभाने के लिए लालू यादव ने शिवहर से रितु जयसवाल को मैदान में उतारकर राजनीति की पिच पर मास्‍टर स्‍ट्रोक जड़ दिया है।

द हिंदू की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, शिवहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 25% मतदाता वैश्य हैं, 20% अत्यंत पिछड़ा वर्ग, 20% एससी और एसटी, 18% मुस्लिम और 17% उच्च जाति (मुख्य रूप से राजपूत) मतदाता हैं। जिला निर्वाचन कार्यालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार शिवहर में कुल मतदाताओं की संख्या 18,15,106 है, जिनमें 9,59,345 पुरुष मतदाता, 855695 महिला और 66 तीसरे लिंग के मतदाता हैं। इसमें चिरैया, रीगा, मधुबन, ढाका, बेलसंड और शिवहर सहित छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। राजद और जदयू में इस बार कांटे की टक्‍कर है। दोनों दल जाति कार्ड खेल रहे हैं। जदयू प्रत्‍याशी लवली आनंद को पूरा भरोसा है कि राजपूत और वैश्‍य वोटों के सहारे उनकी चुनावी नैया पार लग जाएगी। वहीं राजद प्रत्‍याशी रितु जायसवाल शिवहर के समग्र विकास के नाम पर वोट मांगते हुए वैश्‍य समुदाय पर भी ध्‍यान केंद्रित कर रही हैं।

जाति की राजनीति, सभी मुद्दों पर भारी

शिवहर के एक भाजपा कार्यकर्ता मुकेश चौधरी कहते हैं कि इस बार विभिन्न राजनीतिक दलों ने वैश्य समुदाय से आने वाले केवल चार उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। जेडीयू ने भी अगड़ी जाति से आने वाली लवली आनंद को मैदान में उतारा है।

स्थानीय पत्रकार नीरज कहते हैं, इस बार वैश्य समुदाय अपने प्रतिनिधित्व के लिए लड़ रहा है। लवली आनंद के बेटे और मौजूदा विधायक चेतन आनंद के खिलाफ भी नाराजगी है। आम लोगों की शिकायत है कि विधायक ना तो क्षेत्र में आते हैं, ना ही लोगों के दुख दर्द सुनते हैं। कहते हैं कि क्षेत्र में महिला नेतृत्‍व की कमी नहीं है। विकास की सोच और लोगों से जमीनी जुड़ाव रखनेवाली महिला राजनेता पर लोग भरोसा करते हैं।

शिवहर के एक वरिष्ठ पत्रकार नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि सांसद राम दुलारी सिन्हा के दो कार्यकाल और रमा देवी के तीन कार्यकाल के दौरान राज्‍य सरकार की सरकारी योजनाओं के अलावा उन्होंने महिलाओं के लिए विशेष काम या बड़ा जागरूकता अभियान नहीं देखा है। इस बार जदयू और राजद की दो महिला उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर है और एक बार फिर से शिवहर का प्रतिनिधित्व महिला नेता द्वारा किए जाने की संभावना है। उम्मीद है कि युवा महिला नेता नई पीढ़ी के लिए नई योजना और विचार लेकर आएंगी।”

 अब गेंद मतदाताओं के पाले में

84 वर्षीय बिंदेश्वर प्रसाद चौधरी ने कहा कि हम रितु जयसवाल को अखबारों के माध्यम से जानते हैं। मुखिया के रूप में उन्होंने अच्छा काम किया था। तरियानी ब्लॉक के संतोष कुमार ने कहा, “वैश्य समुदाय के दिल में बैठ गया है कि सांसदों की संख्या चार से घटकर एक हो गई है। फरीदा खान मुस्कुराते हुए कहती हैं कि हमें खुशी है कि महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, हम चुनेंगे, बाकी वो देखेंगी। शिवहर शहर से पांच किमी दूर स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक शिव मंदिर देवकुली धाम में पुजारी पंडित संजीत भारतीय कहते हैं, हमारा समुदाय जल्द ही यह तय करने के लिए बैठक करेगा कि किसे वोट देना है। लेकिन हम उस उम्मीदवार के बारे में सोच रहे हैं, जिसने अपने क्षेत्र में अच्छे विकास कार्य किए हैं। संभवतः हम जाति और राजनीतिक निष्ठाओं से परे उन्हें वोट देंगे। ताजपुर ब्‍लॉक के रौशन कुमार और विमलेश कुमार कहते हैं कि वोट बीजेपी को देंगे, चाहे उम्‍मीदवार कोई भी हो।

शिवहर में एक युवा होम्योपैथी डॉक्टर चंद्रजीत सिंह कहते हैं, “इस बार कांटे की टक्कर है, जाति फैक्टर तो है। मगर स्टार प्रचारक जब आएंगे तो तस्वीर साफ होगी कि लोग जाति के साथ जाएंगे और पार्टी के साथ।”

सुमिता जयसवाल एक वरिष्ठ पत्रकार और फैक्ट चेक ट्रेनर हैं।  दैनिक जागरण में प्रिंट और डिजिटल मीडिया jagran.com के लिए काम करती रही हैं। वर्तमान में वह दैनिक जागरण के पश्चिम बंगाल की सिलीगुड़ी इकाई में कार्यरत हैं। उन्‍होंने दिसंबर, 2002 में दैनिक भास्कर,  भोपाल में प्रशिक्षु रिपोर्टर के तौर पर पत्रकारिता की शुरुआत की थी। अपने 22 साल के करियर के दौरान  टाटा स्टील, जगदलपुर (छत्तीसगढ़) में पीआरओ, द हितवाद और पायनियर, अंग्रेजी दैनिक, रायपुर और आईनेक्स्ट, पटना में काम किया। उन्हें कुछ पुरस्कार और फ़ेलोशिप प्राप्त हुए हैं।

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